आज ... मेरे मन में एक
ख्याल आया। आया, कुछ देर ठहरा ... और चला
गया| उसके आने में एक उत्सुकता थी, एक नयापन ... मुझ में कुछ बदलना चाहता था। पर शायद मैं उसके लिए तैयार नहीं था। उसके ठहराव में एक अजीब सी झुंझलाहट थी, बेचैनी थी। मेरे मन के भीतर लड़ता, झगड़ता ... कभी जीतता, कभी हारता ... खुद को बचाता रहा। मगर आखिरकार ... हार गया ... चला गया। उसके जाने में एक निराशा थी, बेबसी थी। अपने
अरमानों को मुझमें अधूरा छोड़ गया। पर उनके साथ ही एक ख्वाहिश भी ... कि कभी एक ख्याल फिर आयेगा, एक नए जोश के साथ। और जीतेगा ... मुझे खुद में ढाल देगा। एक दिन ... ज़रूर।